Wednesday 8 April 2020

#समयरुकगयाहै



कुछ दर्द के लम्हे खुद में समेटे
ज़ख्म लगे पैरों के साथ
ठहरा है एक मोड़ पर समय
कर्तव्य निभाने को तत्पर मैं
हूँ साथ जख्मों की तीमारदारी के लिए
और
हमदर्द बनकर बाँटने के लिए समय का दर्द
क्योंकि जब समय अच्छा था तब मेरे साथ था
आज मुझे अच्छा बनाकर
साथ निभाने की सीख भी इसी समय ने दी है
मेरे साथ कल फिर चलेगा
क्या हुआ जो आज समय रुक गया है
रुक गई हूँ मैं भी समय के प्रेम में,..!

#डॉप्रीतिसमकितसुराना

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