Tuesday 31 March 2020

इन दिनों जरुरी है

#न निकलूँ घर से ये इन दिनों जरुरी है
कुछ जिम्मेदारियाँ है, कुछ मजबूरी है
कदम नहीं निकाले 
खिंची गई लक्ष्मण रेखा से
पर रोजी-रोटी की खातिर फिक्रमंद हूँ 
क्योंकि गरीब नहीं हूँ कि राशन मिले
न अमीर हूँ कि प्रशासन मिले
मध्यमवर्गी हूँ
प्रमाण चाहिए तो देखना
लिहाफ उतारकर मेरे तकिये का
आंसुओं के दाग बताएँगे
रोज बिलखकर रोती हूँ,.!
तुम होते हो शरीक मेरे हाल के,
पल-पल मेरे मलाल के,
क्योंकि तकिया तो भीग जाता है
पर सबको कैसे कहूँ
तुम्हारा कंधा भिगोती हूँ
तब कुछ घंटे सोती हूँ,..!

#डॉप्रीतिसमकित सुराना

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