Tuesday 31 March 2020

मेरे बच्चों की पीड़ा

मेरे बच्चों की पीड़ा
(चित्रकार-जयति सुराना)

मेरे घर तो पालतू कुत्ते सिनी-टफी हैं
(मुझे कुत्ते कहना बुरा लगता है😭)
मेरे घर कछुए टूटू-ट्वीटी हैं
22 साल से गौसेवा से जुड़ी हूँ
यानि सुराना परिवार का दिया
सबसे अनुपम उपहार है गौसेवा,
वहाँ के कबूतर खाने में
हजार से ज्यादा जोड़ों में कबूतर हैं
खरगोशों के परिवार हैं
खच्चर हैं, कुत्ते हैं,
छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा जीव
संकट में हो तो आश्रय देने की भावना बचपन से है
मानवों के लिये आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना जैसे वाटर बैड, एयर बैड, ऑक्सीजन, व्हीलचेयर,
व्यक्तिगत स्तर पर कुछ बच्चों की शिक्षा,
कुछ की दवाइयां उपलब्ध करवाना
समकित, मैं, तन्मय, जयति और जैनम
जब तक संभव है उपलब्ध होते हैं
बहुत बड़ा स्वार्थ है मानसिक शांति
आज
ऐसा लगा मानों मेरे बच्चे (सिनी, टफी, टूटू, ट्वीटी)
पूछ रहे हों मां आप घुम्मू क्यों नहीं ले जा रहे,
पापा आप गाड़ी से क्यों नहीं जा रहे
हमने इन्हें कभी नहीं बांधा
और बच्चों जैसा प्रेम दिया।
जानते हैं जब मैं कहती हूँ मैं टफी की माँ नहीं हूँ
तो वो बच्चों की आवाज़ में रोता है
मैं कहीं बाहर से आऊं तो माँ को प्यार करने के लिए
सिनी टफी में कॉमपीटिशन होता है।
आज का सब से बड़ा अचरज
जो गाय रोज सुबह दरवाजे पर गुड़ खाने को आती है
वो अब तीन बार आती है
मानो देखकर जाती है कि हम सब ठीक हैं या नहीं।
ये कोरोटाइन तो हम बिता लेंगे
पर कैसे समझाएं हम अपने उन बच्चों को
जिन्हें हमने कभी कैद में नहीं रखा
आज वो भी समझ रहे हैं हम किसी खतरे की कैद में हैं।
अंदाज़ अलग हो पर ये भी अपनों से प्रेम करते हैं
बेजुबान होकर भी हर दर्द महसूस करते हैं,..!
लव यू ऑल बच्चा
हाँ मैं तुम्हारी माँ हूँ
अभी कैद में सहीं
पर सुरक्षित हूँ

डॉ प्रीति समकित सुराना

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