खुद के साथ बैठ कर बतियाना
खुद ही खुद को समझाना
दुविधाओं से बाहर निकलना
अपनों का महत्व समझना
साथ की ताकत साथ रहकर भूल जाते हैं सब
अकेलापन सब कुछ महसूस करवाता है
याद दिलाता है रिश्तों की अहमियत
सच बड़े काम की है ये तन्हाइयाँ!
डॉ प्रीति समकित सुराना
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