मैं अपना पूरा ख्याल रख रही हूँ
क्योंकि
न मैं अकेले जी सकती
न मैं अपने अपनों को
अपनी वजह से
तकलीफ में डाल सकती
मैं चाहती हूँ
मैं जब भी जिससे मिलूँ
प्रेम बाँटू
खुशियाँ बाँटू
कुछ खिलाऊँ
तो स्वास्थवर्धक खिलाऊँ
हाथ मिलाऊँ
तो संबल बनूँ
गले मिलूँ
तो अपनापन दे सकूँ
इसके लिए जरूरी है
मेरा स्वस्थ होना
नहीं बाँटना मुझे "कोरोना"
आप भी यही करोना
जीने दो और जीयो ना!
डॉ प्रीति समकित सुराना



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