जब जहाँ हो कुकर्म
सजा तुरंत हो न बढ़ाएं तकलीफें
फांस की तरह चुभ रही थी
निर्भया की चीखें
दर्द बढ़ता ही जाता था जब-जब बढ़ती थी तारीखें
आज जाकर मिला है इंसाफ लेकिन सिर्फ एक बेटी को
*फांसी* ही अगर उपचार है तो न मिले तारीख पर तारीखें
डॉ प्रीति समकित सुराना
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