#वो जो अपना लगता है
जैसे सपना लगता है
जब लोगों के बीच रहो
व्यर्थ खपना लगता है
बिन मतलब की अफवाहें
यूँही छपना लगता है
किसका नाम रटूँ दिन-रात
माला जपना लगता है
किस की खातिर जीना है
दोजख में तपना लगता है
प्रीत कभी जो कद नापे
कौड़ी में नपना लगता है
#प्रीति सुराना
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