Friday, 21 February 2020

वो जो अपना लगता है

#वो जो अपना लगता है
जैसे सपना लगता है

जब लोगों के बीच रहो
व्यर्थ खपना लगता है

बिन मतलब की अफवाहें
यूँही छपना लगता है

किसका नाम रटूँ दिन-रात
माला जपना लगता है

किस की खातिर जीना है
दोजख में तपना लगता है

प्रीत कभी जो कद नापे 
कौड़ी में नपना लगता है

#प्रीति सुराना

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