Sunday 9 February 2020

गुम हो जाता है

तुम्हें देखते ही हर गम
गुम हो जाता है
मिलते ही 'मैं से तुम'
हम हो जाता है
फिर खो जाती हूँ मैं
तुम्हारे वजूद में
तब मेरा 'मैं' मैं नहीं रहता
तुम हो जाता है

प्रीति सुराना

1 comment:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (10-02-2020) को 'खंडहर में उग आयी है काई' (चर्चा अंक 3607) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    *****
    रवीन्द्र सिंह यादव


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