स्त्री
स्त्री तुम्हें तो
सशक्तिकरण की
आवश्यकता ही नहीं
क्योंकि
कुदरत ने
मातृत्व का अधिकार
केवल स्त्री को देकर
तुम्हें स्वयं शक्तिमान बनाया है।
जरुरत है
तुम अपनी क्षमताओं का
सही दिशा
सही दशा
और
सही सोच के साथ
सदुपयोग करो।
यकीन मानो स्त्री
तुम शक्ति हो
जो चाहे तो
सिर्फ अपने हिस्से का आकाश नहीं
सम्पूर्ण सृष्टि
अपने आँचल में
संरक्षित करने की क्षमता रखती हो
इसलिए
हे!स्त्री
शक्ति के लिए नहीं
आत्मनिर्भर होकर
सक्षम होने के दिशा में कदम बढ़ाओ
देखो
धरा व्याकुल है
तुम्हारी गोद में पलने
और संरक्षित रहने को,..!
प्रीति सुराना



सार्थक प्रस्तुति
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