Saturday, 15 February 2020

मन का फूल, तुम्हें है अर्पण

नहीं देखना 
मुझको दर्पण।
जैसी भी हूँ, 
है पूर्ण समर्पण।
काँटे जिन्हें 
देखना हो देखें,
मन का फूल, 
तुम्हें है अर्पण

प्रीति सुराना

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