#जिसने दर्द दिए
जिसने ज़ख्म दिए
जिसने आँसू दिए
जिसने डर दिए
जिसने नाउम्मिदियाँ दी
जिसने कमज़ोर किया
वो
कौन, कैसा, कहाँ
था, है या होगा
न उसे जानती हूँ
न वो याद है
न उसका पता मालूम,..
हाँ!
अब मुझे याद है तो बस
दिल को मिली राहतें,
जख्मों पर मरहम,
होठों पर मुस्कान,
मन में सुरक्षा के भाव,
नई उम्मीदों की कोंपलें,
फिर से हासिल आत्मविश्वास,
और
इन सबका स्रोत "तुम"
और
जानती हूँ तुम्हारा पता यानि
मैं, मेरा दिल, मेरी धड़कन,
मेरा मन, मेरा जीवन,
मेरा घर, मेरा आंगन।
#प्रीति सुराना
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