Saturday, 3 August 2019

*जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी!*

सिर्फ
हमारे प्यार में ही नहीं
बल्कि
दुनिया के हर रिश्ते में
शामिल होना चाहिए
दोस्ती का एक अहम भाव
क्योंकि
सुना है
दोस्त तब भी जान लुटा सकते हैं
जब दोस्त की जान पर बन आए
फिर चाहे वो सही हो या गलत,
दोस्त अपनाते हैं दोस्त को
उसकी हर कमी और खूबी के साथ
दोस्ती में अपेक्षा कम और विश्वास अटूट होता है
दोस्ती करने के पहले परखने
और बाद में आजमाने की जरूरत नहीं होती
और सब से जरूरी बात
दोस्ती हमेशा आबाद रहती है, याद रहती है,
जिंदगी के साथ भी जिंदगी के बाद भी,
दोस्त का कोई विकल्प नहीं होता कभी!
बस जिस दिन रिश्तों में यह भाव जगह ले लेगा
प्रेम में विश्वास कई गुना बढ़ जाएगा
रिश्ते में तूतू-मैंमैं तो होगी
पर रिश्ते के टूट जाने का डर किसीको नहीं होगा,
मैं
तुम्हें खो देने के डर से
निश्छल होकर कह देने वाली कड़वी बातों को
हमारी दूरियों, कलह, और अलगाव का कारण
कभी नहीं बनने देना चाहती,..!
सुनो!
मित्रता दिवस के इस साल में
क्या हमारे प्रेम में दोस्ती की मिलावट कर लें!
हाँ!
मैं रहना चाहती हूँ
हर हाल में तुम्हारे साथ
जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी!
बोलो दोगे मेरा साथ,...मेरे तुम?

प्रीति सुराना

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