सुख में सब नाता जोड़े पर,
दर्द में न कोई अपनाये,..!
चलो आज से ही जीने की,
एक नई सी रीत बनायें,..!
खुश होकर मिलना है सबसे
सच सबका जाना है तब से,
कदम-कदम पर मिले फरेबी
मीठी बातों से भरमाये,
लूटा सबने अपना बनकर
फिर मुकरे और ऐंठे तनकर,
ढोल पीट-पीट कर सबको
खुद के ही गुणगान सुनाये,
सुख में सब नाता जोड़े पर,
दर्द में न कोई अपनाये,..!
चलो आज से ही जीने की,
एक नई सी रीत बनायें,..!
दस्तावेज लिखे रक्खे हैं
जितने छल या झूठ रचे हैं,
पन्नों में इतिहास लिखा है
जो खुद ही सब राज बताये,
चुप रहना है केवल तब तक
पानी पहुँचे न जब सिर तक,
लोक-लाज सब जाने समझें
समय सदा कुछ और सिखाये,
सुख में सब नाता जोड़े पर,
दर्द में न कोई अपनाये,..!
चलो आज से ही जीने की,
एक नई सी रीत बनायें,..!
अपशब्दों के बाण है झेले
लड़ना हक के लिये अकेले,
लेकिन सच का दामन थामे
वो ही सच्ची राह दिखाये,
आत्मसाक्षी से सच्चे रहकर
झांसो या वादों से बचकर,
बड़ी-बड़ी बातें मत करके
जो सोचा करके दिखलायें,
सुख में सब नाता जोड़े पर,
दर्द में न कोई अपनाये,..!
चलो आज से ही जीने की,
एक नई सी रीत बनायें,..!
प्रीति सुराना
सुन्दर प्रस्तुति
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