Thursday 13 June 2019

खुशियाँ बड़ी चंचल होती हैं

खुशियाँ बड़ी चंचल होती हैं

हाँ!
समेट लेना चाहती हूँ
अपने दामन में
हर वो पल
जो खुशी दे गया
छूटना ही है कुछ
तो छोड़ देना चाहती हूँ
हर वो पल
जो दर्द दे गया।
खुशनसीब हूँ
तमाम कोशिशों के बाद भी
कोई रोक नहीं पाता
मेरे प्रारब्ध में लिखे
मेरे कर्मफल को।
यादों के पन्ने जब भी पलटती हूँ
पाती हूँ बेहिसाब हौसला
ताकि फिर निर्धारित कर सकूँ
एक नया लक्ष्य
एक नया उद्देश्य
एक नई दिशा
जीवनरथ को भवपार ले जाने के लिए,..!

शुक्रिया जिंदगी!
हर बार रुलाकर फिर हँसाने के लिए,..!

प्रीति सुराना

1 comment:

  1. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन जाँबाज मनोज तलवार को सादर नमन : ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

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