परिभाषाएँ बदलती हैं
एक वो वक्त था
जब लोग कहते थे
जो दुख में साथ आकर खड़ा हो जाए
वो ही आपके सच्चे मित्रों की पहचान है
आज ये वक्त है
जब लोग समझते हैं
सुख में बिना किसी ईर्ष्या, द्वेष या अपेक्षा के
जो आप के साथ खड़ा हो सके
वही आपकी खुशियो की वजह भी होगा
और दुआएं भी देगा,...!
रिश्ते वही सोच नई!
प्रीति सुराना
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