देखते हैं,..
जो कह लिया, वो कर के देखते हैं,
रोज बनते रहे, अब बिखर के देखते हैं,
जो मिला है, उसका खोना भी तय है,
जी लिए बहुत, अब मर के देखते हैं।
प्रीति सुराना
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देखते हैं,..
जो कह लिया, वो कर के देखते हैं,
रोज बनते रहे, अब बिखर के देखते हैं,
जो मिला है, उसका खोना भी तय है,
जी लिए बहुत, अब मर के देखते हैं।
प्रीति सुराना
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