Sunday 16 June 2019

तपन

सोचा था कि बादल उमड़े हैं तो धरा की तपन कम होगी
सोचा न था उमस इतनी बढ़ जाएगी और घुटन होगी
सूरज तो हमेशा से स्थिर है और धरा भी घूमती है सतत अपनी धुरी पर
पर मौसम की रुसवाई जाने कहाँ शुरू कहाँ ख़तम होगी?

प्रीति सुराना

0 comments:

Post a Comment