हादसे सिखाते हैं
कि
एक पल
सिर्फ एक पल
और
दुनिया बदल जाती है
सपने-अपने छूट जाते हैं
अरमान सारे रूठ जाते हैं
जाने वाले रुकते नहीं
पर
जो रह जाते हैं शेष
वो टूट जाते हैं,..
हाँ!
हादसे सिखाते हैं।
सुनो!
भूलकर
गिले-शिकवे-तोहमतें
नई दुनिया बनाते है
मिलकर करते है याद
खुशियाँ
गम भूल जाते हैं
चलो कुछ कदम तुम
हम भी लौट आते हैं
क्या भरोसा ज़िन्दगी का
मौत किस पल लील जाए
जिंदा हैं
तो चलो फिर से
जीकर दिखाते हैं,..!
हादसे सिखाते हैं,...!
प्रीति सुराना
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (26 -05-2019) को "मोदी की सरकार"(चर्चा अंक- 3347) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
....
अनीता सैनी
सही कहा
ReplyDeleteफिर भी हम सीख कहाँ पाते हैं?
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबहतरीन उम्दा अतिसुन्दर रचना
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