Monday, 14 January 2019

आ अब लौट चलें,..! (दिल्ली से घर की ओर लौटते हुए)

शीत लहर
विश्व पुस्तक मेला
रंग बहार
              नववर्ष आया और 2019 की शुरुआत कड़कड़ाती ठंड के साथ हुई नए सपनों, नए लक्ष्यों और नए संकल्पों के साथ। ठंड ने देश को जकड़ा पर अन्तरा-शब्दशक्ति ने शुरुआत ही धुआंधार कार्यक्रमों के साथ की।
              विश्व पुस्तक मेला 2019, प्रगति मैदान, दिल्ली में 5 जनवरी को अपने तंबू तान चुका था देशभर के अनेक प्रकाशनों ने बहुत उत्साह से हिस्सा लिया। पुस्तक, प्रकाशक, लेखक और पाठकों का यह संगम गंगाघाट पर कुम्भ के मेले सरीखा लगता है।
     अन्तरा शब्दशक्ति ने पहले ही दिन यानि 5 जनवरी को ही एन डी तिवारी भवन में 91 पुस्तकों का विमोचन कर बेहतरीन शुरुआत की। लगभग सभी उम्र और देश के विभिन्य राज्यों से रचनाकार शामिल हुए। 17 साल की जयति सुराना द्वारा बनाए चित्रों से सजी (राजेन्द्र श्रीवास्तव जी की गिलहरी और डॉ चेतना उपाध्याय की बालकों की अदालत) दो बाल कविताओं की पुस्तकें, 18 साल की आस्था दीपाली की बाल कविताओं की पुस्तक सहित 70 साल के रक्षित दवे 'मौन' के गुजराती अनुवादों (काश! कभी सोचा होता,..-डॉ प्रीति सुराना व काव्यपथ-डॉ अर्पण जैन अविचल) की दो पुस्तकें, डॉ. अर्पण जैन अविचल के संपादन में मातृभाषा-भाग 2 का नि:शुल्क प्रकाशन से लेकर नवांकुरों और वरिष्ठ रचनाकारों की विविध विधाओं से सजी पुस्तिकाओं के साथ, नरेंद्रपाल की प्यासे नग़मे और मेरी खुद की सुनो! (बात मन की मन से) का प्रकाशन जिसका विमोचन डॉ वेदप्रताप वैदिक जी,लक्ष्मीशंकर वाजपेयी जी, अतुल प्रभाकर जी एवं उर्मिला माधव जैसे वरिष्ठ हस्ताक्षरों द्वारा सम्पन्न हुआ।
       पहले 10 महीनों में ही अन्तरा शब्दशक्ति प्रकाशन द्वारा 230 से अधिक किताबों सहित "विश्व पुस्तक मेला 2019" में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मिलित होना और "168 पुस्तकों का राष्ट्रीय पुस्तकालय- कोलकाता 27" में शामिल होना अन्तरा-शब्दशक्ति परिवार के लिए भी त्योहार, उत्सव या मेले से कम नहीं।
           मकरसंक्रांति अपने नेपथ्य में अन्तरा शब्दशक्ति परिवार सहित समस्त सृष्टि को सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य-सद्बुद्धि और सद्कर्मों से सदमार्गो की ओर अग्रसर करे, सब मंगल हो यही कामना करती हूँ।

डॉ. प्रीति सुराना
संस्थापक
अन्तरा शब्दशक्ति

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