Tuesday 15 January 2019

मेले में,..!

मेले में,..

मैं रोई बहुत अकेले में।
हँसना ही था जो मेले में।।

अपनी खुशियाँ ही भूल गई।
बीते दिन रात झमेले में।।

इस मन से मन ही जो न मिला।
अनमोल बिका मन ढेले में।।

कोशिश चाहे जितनी कर ली।
हारे किसमत के खेले में।।

'प्रीत' जरा समझा अब मन को।
घुट-घुट जीना न अकेले में,...।।

प्रीति सुराना

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