Wednesday, 16 January 2019

नासूर

जख्मों को कुरेद कर
नासूर कर रही हूँ,
दर्द के नशे में
खुद को चूर कर रही हूँ,
सूरज की खता नहीं है,
वो तो रोज निकलता है,
आँखे बंद करके मैं ही
रोशनी को दूर कर रही हूँ,...

प्रीति सुराना

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