बहुत हादसों से गुज़रा है जीवन मेरा,
मौत के करीब जाकर भी मरती नहीं,
लोग हँसकर आपस में बातें करते हैं,
अरे! ये अभी भी जिंदा है, मरी नहीं,..!
जब भी सोचती हूँ वजह सारी बातों की,..
बस एक दुआ करती हूँ मेरे सरपरस्त से,
अगर सचमुच मेरा ईमान सच्चा है,
जो जितना हँसा है आज मुझपर,
वो उतना रोये मेरी याद में मेरे बाद,...!
बहुत सुन्दर और भावमयी अभिव्यक्ति...
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