Tuesday 12 June 2018

अनुत्तरित प्रश्न

अनुत्तरित प्रश्न    
         देह पर लगी चोटें सभी को दिख रही थी, पर आहत मन अब भी देहरी के भीतर पड़ा तड़प रहा था।
भीड़ में गूंजती सहानुभूति, गालियाँ, सजा के प्रकार और कुछ दुआएँ कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था क्योंकि कानों में गूंज रही थी शराबी पति की गलियाँ और छप्पर पर लटकी फटी साड़ी के झूले में पड़ी 10 दिन की दुधमुंही भूख से बिलखती गुड़िया की आवाज़ें।
भूख और कुपोषण की शिकार रेवती गुड़िया को अपना दूध पिलाने में असमर्थ थी। आज पल्लू में छोटी सी बोतल में मालकिन के घर का दूध चोरी करते हुए पकड़ी जाने पर लातों और बातों से प्रताड़ित रेवती को अब भी देहरी के भीतर गिरी बोतल और गुड़िया के रोने की आवाज़ के अलावा न कुछ दिखाई दे रहा था न सुनाई। तनाव और पीड़ा से अचेत रेवती को सड़क पर छोड़कर भीड़ छंट गई, मालिक के घर का दरवाज़ा बंद हो गया पर किसी ने समाधान पर विचार ही नहीं किया।
जबकि देह द्वारा एक अबोध शिशु की खातिर किया चोरी का अपराध कई अनुत्तरित प्रश्न छोड़ गया,..
कुछ देर बाद बच्ची के मोह में बंधी रेवती को होश तो आ गया पर आंखो में अनगिनत सवाल,...
नशा
कुपोषण
गरीबी
भूख
विवशता
गैर जिम्मेदार हम और हमारा समाज
आखिर वास्तविक दोषी कौन??

प्रीति सुराना

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