पल पल ये साथ निभावत है
सबकी ये खबर सुनावत है
साथ इतना देवत है कौन
क्या सखी साजन?नहि री फोन।
छटपट जियरा तड़पे निशदिन
काटे न कटे है अब पल छिन
पीर जिया की जिसने जानी
क्या सखि साजन?ना जिंदगानी।।
कानों में गूंजे है रुनझुन
मधुर सी बाजे है एक धुन
जिया हुआ जाए है कायल
क्या सखि साजन?नहि री पायल।।
प्रीति सुराना
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