Wednesday, 16 May 2018

शोर

हर वो ख्वाब
जिसने किया शोर
तोड़ दिया
हर बार
ज़माने ने,..
और तब से
आहिस्ता-आहिस्ता
मैंने डाल ली आदत
ख्वाबों को जीने की खामोशी से
जब तक वो पूरे न हो जाएं,..
अब
मेरे ख्वाबों, मेरी ख्वाहिशों
और मेरे मंजिल की ओर
बढ़ते कदमों की आवाज़
सिर्फ दिल की धड़कनों तक
पहुंचती है,..
सुनो!
देना साथ और करना दुआ
मेरे अपनों की खुशी से जुड़ा
कोई ख्वाब
कोई विश्वास न टूटे,...
मेरे हमराज़,
मेरे हमसफर,
मेरे तुम,..
सिर्फ तुम ही तो रहते हो
मेरे दिल में,...प्रीति सुराना

0 comments:

Post a Comment