Thursday, 17 May 2018

कहन

वेदना, व्यथा, पीड़ा और दर्द
है सभी रिश्तेदार और भाई बहन।
दास्ताँ, अफ़साने, किस्से-कहानी
निकलते हैं एकदूजे का चोला पहन
क्या कहना, सुनना या समझाना
सब महसूस करने की बातें हैं
सिर्फ जुदा है कहीं भाषा-शिल्प
या कहीं विधा,शैली और कहन,.... प्रीति सुराना

0 comments:

Post a Comment