Monday, 9 April 2018

न भूतो न भविष्यति

हाँ!
चाहा है तुम्हे टूटकर
और तुमने भी किया है प्रेम
हर बार मुझे तोड़कर
और सच कहूँ
तो देह से परे
मेरी रूह से तुम्हारा प्रेम
देता है शक्ति मुझे
टूटने का दर्द सहने की,..
और सबसे अनोखी बात
जब जब भी टूटी हूँ मैं
और
जितने हिस्सों में टूटी हूँ
उतने हिस्सों को
तुमने ही किया विलेपित
अपने निःस्वार्थ प्रेम से
और उतना ही शक्तिमान होकर
पुनर्स्थापित हुआ है
मेरा तुम्हारा
सहअस्तित्व
अब हाल ये है
कि संभव ही नहीं
मेरी *रूह* से तुम्हारे प्रेम का पृथकीकरण
स्वीकार है
हालात की छेनी से तुम्हारे द्वारा
मुझे बार-बार यूँ तोड़ा जाना
फिर
तुम्हारे प्रेम का विलेपन
और हमारा सह जीवन
ताकि लोग कहें
हम जैसा प्रेम
*न भूतो न भविष्यति*

प्रीति सुराना

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