Thursday 5 April 2018

सारेगमपधनि,... संगीत के सात सुरों का विज्ञान

*सारेगमपधनि,... संगीत के सात सुरों का विज्ञान*

मुझे लगता है संगीत
यानि
*सारगर्भित, रेखांकनीय, गरिमामय, महत्वपूर्ण, परिमार्जित, धर्मयुक्त, निसर्गमय, एक परम सार्थक क्रिया जो भावों को स्वर लहरियों में बांधकर जीवन को विकार से मुक्त करने का सामर्थ्य रखती हो वो है संगीत।*

*सा* रगर्भित इसलिए क्योंकि सामान्य बातचीत के सार को सीमित शब्दों में ढालकर स्वरबद्ध किया जाता है।

*रे* खांकनीय इसलिए क्योंकि जीवन से जुड़ी हर बात के सार को जिन सुरों में ढाला जाता है वो सामान्य श्रवणीय ध्वनियों में से चयनित होते हैं।

*ग* रिमामय इसलिए क्योंकि ये एक ऐसी कला है जो साधना की श्रेणी में आती है और साधक की प्रतिष्ठा सामान्यजन से अधिक होती है।

*म* हत्वपूर्ण इसलिए क्योंकि यह कला शरीर, मन और आत्मा की गहराइयों से ही नहीं परमात्मा से भी जुड़ने का मार्ग बन सकती है।

*प* रिमार्जित इसलिए क्योंकि सुरों को साधना यानि योग द्वारा और कला को शुद्धता पूर्वक साधे जाने के बाद संयोजित स्वर होते हैं।

*ध* र्ममय इसलिए क्योंकि किसी भी साधना से जुड़ने का अर्थ है आत्मानंद से जुड़ना जो तभी संभव है जब किसी विशेष कर्म को करने का प्रयास सात्विक हो।

*नि* सर्गमय इसलिए क्योंकि संगीत प्रकृति के कण कण में समाहित है जो कब किस तरंग के साथ ढल जाए ये समझना दुष्कर है।

संगीत में विज्ञान, धर्म और कला सबकुछ समाहित है। कर्णप्रिय संगीत मन को शांति देता है और भावपूर्ण संगीत मन की कुंठा को बाहर निकलता है, वातानुकूलित संगीत वातावरण को परिभाषित करता है यानि पीड़ा हो तो दुख और खुशी हो तो उल्लासमय बनाने में सक्षम होता है। ये कला धनोपार्जन या जीविका का साधन बनने में भी समर्थ है।

बहुत सरल शब्दों में कहें तो संगीत एक ऐसी कला जो पंचतत्व से जुड़ी है और तन मन और धन को संतुलित कर सकती है और जितना तन-मन-धन संतुलित उतना ही स्वास्थ्य लाभ चाहे शरीर का हो या मन का ।

*मैंने दर्द में ग़ज़ल सुनी तो सुर हमसफर से लगे।*
*मैंने प्रेम में गीत गुनगुनाए तो सुर सखी से लगे।*
*मैंने हमराज़ बनाकर तनहाई भी बांटी है सुरों से,*
*सच मुझे बीमार रातों में वही सुर औषधि से लगे।*

प्रीति सुराना

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