सुनो!
बहुत चुभते हैं वो आँसू
जो सूख जाते हैं
देर तक अटके रहने पर
पलकों पर,..
क्योंकि
बह जाने दूँ
तो तुम्हारा दिल टूटता है
पी जाऊं
तो मेरा दिल दुखता है,..
छुपाने की अन्य जगहें
बहुत तलाशी
पर पलकों से बेहतर
कोई विकल्प न मिला,..
खैर!
तुम्हारे दो मीठे बोल की खातिर
सारी कड़वी बातें मंजूर
और हाँ!
सूखकर चुभते आंसू भी,..
वैसे भी
तुम्हें पसंद जो है
मेरी ख्वाबों से भरी,
आँसुओ को छुपाकर
प्रेम छलकाती
भीगी पलकें,...
प्रीति सुराना
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