Monday 22 January 2018

करती हूं स्वागत

दी है आज दस्तक खुशियों नें
करती हूं स्वागत जी भर कर
आशा का इक दीप जला कर
राह तकी मैंने जीवन भर,...

बहुत कठिन है जीवन यात्रा
कुछ ज्यादा पीड़ा की मात्रा
सूखे में सावन सा झरकर
अंतस को आंसू से तरकर
दी है आज दस्तक खुशियों नें
करती हूं स्वागत जी भर कर,..

आशा का इक दीप जला कर
राह तकी मैंने जीवन भर।

लगता संघर्षों का मेला
दुनियादारी विकट झमेला
सभी विषमताओं से लड़कर
कर्तव्य निभाये हरदम हँसकर
दी है आज दस्तक खुशियों नें
करती हूं स्वागत जी भर कर,..

आशा का इक दीप जला कर
राह तकी मैंने जीवन भर।

अब ये मैंने जान लिया है
खुद पर कुछ अभिमान किया है
अच्छे कर्म किये जीवनभर
सुख आया है तब फल बनकर
दी है आज दस्तक खुशियों नें
करती हूं स्वागत जी भर कर,..

आशा का इक दीप जला कर
राह तकी मैंने जीवन भर।

प्रीति सुराना

0 comments:

Post a Comment