Saturday, 20 January 2018

*"कौन तुम्हें यूँ प्यार करेगा जैसे मैं करती हूं,..?"*

*"कौन तुम्हें यूँ प्यार करेगा जैसे मैं करती हूं,..?"*

हाँ !!
खो ही दिया
हम दोनों ने आज
एक महत्वपूर्ण रिश्ता,
बिल्कुल जीवन सा,..

वजह
थोड़ा अहम
थोड़ा वहम
कुछ गलतफमियाँ
कुछ परिस्थितियाँ

कहा था मैंने तुमसे
यदि रिश्ता स्वार्थ  का है
तो स्वार्थ की पूर्ति होते ही बोझ लगेगा
यदि रिश्ता साधन और संसाधनों का है
तो भौतिक संसाधनों के जीर्ण होते ही असह्य लगेगा,..

रिश्तों में भावनाएँ
जीवन में धड़कन और सांसों की तरह
अनिवार्य है,
सांसे चले और धड़कन रुक जाए
या हृदय धड़कता रहे और सांसे रुक जाए,.
क्या तब भी संभव है जीवन?

सांसें और धड़कन
दो तरफा भावनाओं का प्रतीक है,
एक तरफा समर्पण
या एक तरफा विश्वास वाले रिश्तों की उम्र छोटी होती है,
ये रिश्ते दम तोड़ते हैं और साथ-साथ दोनों ही पक्षों को भी तोड़ जाते हैं।

आज ये सच जीया मैंने
तुम्हें खोते हुए महसूस किया
खुद के खोने को भी
पल-प्रतिपल,
और अब जी रही हूं अपने ही कतरों के बीच बैठी अपनी ही बेबसी को,....

दूर कहीं से
गीत की गुंजन सुनाई दे रही है
हाँ! वही गीत जो साथ रहकर गुनगुनाया करते थे हम दोनों,.
आज रुला गया मुझे,...

काश
भावनाओं का प्रवाह भी
इस युगल गीत की लय सा
दोनों के स्वरों में
एक सा होता,...

गूंज रही है ये पंक्तियां
कानों में ही नहीं
मेरे रग-रग में
तुमसे दूर जाते हुए
*"कौन तुम्हें यूँ प्यार करेगा जैसे मैं करती हूं,..?"*

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