Saturday, 9 December 2017

आखिर कब तक?

क्या हँसना और किस बात का रोना है,
हो ही जाता है जब-जब जो-जो होना है,
इंतज़ार क्यों, किसका, और आखिर कब तक?
जब ये भी तय है क्या पाना क्या खोना है,...

प्रीती सुराना

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