पलों, घंटों या दिनों का हिसाब नहीं है मेरे पास
मन का हाल लिखा हो जिसमें वो किताब नहीं है मेरे पास
भीड़ में तन्हा रहकर क्या खोया, क्या पाया अब तक,
तुम्हारे इन सवालों का कोई जवाब नहीं है मेरे पास,....
प्रीति सुराना
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पलों, घंटों या दिनों का हिसाब नहीं है मेरे पास
मन का हाल लिखा हो जिसमें वो किताब नहीं है मेरे पास
भीड़ में तन्हा रहकर क्या खोया, क्या पाया अब तक,
तुम्हारे इन सवालों का कोई जवाब नहीं है मेरे पास,....
प्रीति सुराना
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