Friday, 29 September 2017

स्वयंसिद्ध

सत्य स्वयं सिद्ध है हर वाद का ये मर्म है
कथनी करनी एक हो मानवता का धर्म है
स्व, पर, लोक हित निहित आचरण में हो
सद्भावना को शब्द देना लेखनी का कर्म है
प्रीति सुराना

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