जीवों तुम्हे धर्म पे भरोसा नई क्या?
नई क्या?
पर्व पर्युषण क्षमा लेकर आया
आया
मार्दव, आर्जव क्या है बताया
बताया
मन की गठरी तू खोल खोल
खोल खोल
सब जीवों से उत्तम क्षमा बोल बोल
बोल बोल
जीवों तुम्हें धर्म पे भरोसा नई क्या?
नई क्या?
शौच, सत्य और संयम की माया
माया
कर्म करते मन वचन और काया
काया
कर्मों का फल मिले तोल तोल
तोल तोल
कहते हैं ये दुनिया भी है गोल गोल
गोल गोल
जीवों तुम्हें धर्म पे भरोसा नई क्या?
नई क्या?
जरा कर लो सब त्याग पे चिंतन
चिंतन
भव सागर में जीव है अकिंचन
अकिंचन
ब्रम्हचर्य का तो है बड़ा मोल मोल
मोल मोल
सद्ज्ञान को जीवन में घोल घोल
घोल घोल
जीवों तुम्हें धर्म पे भरोसा नई क्या?
नई क्या?
पैरोडी: प्रीति सुराना
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