'ताली'
एक छोटी सी दुनिया थी जिसमें एक 'मैं' था दो 'तुम' थे और कुछ 'वो' थे । 'मैं' हमेशा दोनों तुम का हाथ थामकर चलता था। और दोनों तुम वो और वो अन्य वो के हाथ थामे हमेशा साथ रहकर सुख दुख बांटते थे। एक दिन दुनिया के सामने पहले तुम की उपलब्धि की घोषणा हुई।
'मैं' जिसने अपनी ये छोटी सी खुशहाल दुनिया बनाई थी अति उत्साहित होकर ताली बजाने लगा।
और तुमने दूसरे तुम का हाथ थाम लिया और दुनिया खुशी में मैं को अकेला भूलकर आगे बढ़ गई।
सुना है अब दोनों तुम हाथ थामकर चलते हैं। पर सब डरे डरे से रहते हैं, अब कोई किसी की उपलब्धि पर खुश होकर ताली नही बजाता।
प्रीति सुराना
आपकी रचना हृदय को स्पर्श करती हुई। आभार ,"एकलव्य"
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