जब तक चलते रहोगे
कोई लेगा चरणरज
कोई करेगा अनुकरण
कोई करेगा अनुमोदन
कोई चलेगा साथ
कोई थमेगा हाथ
कोई होगा खुश
कोई रोकेगा रास्ता
कोई बोएगा कांटे
कोई फेंकेगा पत्थर
कोई बांधेगा बंधन
कोई लादेगा बोझ
कोई होगा दुखी,..
एक बार ठान लो
न चलने की
रुक कर देखो
आगे न बढ़ने की एक ज़िद
और साथ जुड़े सारे समीकरण
धीरे धीरे खत्म,..
गतिशील रहोगे तो
जाने जाओगे
पहचाने जाओगे
पूजे जाओगे
कभी आलोचना कभी प्रशंसा के बहाने
रहोगे लोगों की स्मृतियों में जीवित
रुकने के बाद होगी
गुमनाम मौत
पहचान, पद और प्रतिष्ठा की
निर्णय खुद का
चलना है जलना है
या मरना है,..
निष्क्रिय होकर अकेले किसी मोड़ पर,...
प्रीति सुराना
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (11-07-2017) को चर्चामंच 2663 ; दोहे "जय हो देव सुरेश" पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत आभार
Deleteआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन जन्म दिवस : सुनील गावस्कर और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteबहुत आभार
Deleteसुन्दर।
ReplyDeleteआभार
Deleteचलना ही जिन्दगी है
ReplyDeleteआभार
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