चंद्रमा की चाहत
सुखिया ने मजदूरी करके अपनी बेटी को बारहवीं तक पढ़ाया। अब वो आगे आईएएस की तैयारी करना चाहती थी।
पास के शहर के सरकारी कॉलेज में कला विषय की छात्रा का भारतीय प्रशासनिक सेवा में भर्ती होने का सपना जानकर आसपास के लोग हँसी उड़ाते थे। रोशनी के लिए ये चंद्रमा पाने की जिद जैसी ही बात थी।
रोशनी अपने पिता से बोली ''बापू सिर्फ एक अनरॉयड फोन दिला दे, बी ए की पढ़ाई के साथ आईपीएस की तैयारी के लिए कभी कुछ नही मांगूंगी।"
बच्ची की जिद के आगे सुखिया पिघल गया। उसके बाद के 3 साल रोशनी, फ़ोन, इंटरनेट और साथ मे खुद अपना खर्च वहन करने के लिए आसपास के बच्चों की ट्यूशन, बस यही रह गया था।
आज रोशनी का आईपीएस का परिणाम घोषित होने वाला है। उसके माता पिता बेसब्री से अपनी बच्ची के लौटने का इंतजार कर रहे थे।
तभी गांव के मुखिया अपनी टोली के साथ सुखिया के घर के सामने पहुंचा और उसे गले लगाकर कहा बधाई हो सुखिया तेरी बेटी ने गांव का नाम रोशन कर दिया। उसने तो अपनी "चन्द्रमा की चाहत" पूरी कर ली।
पूरा गांव खुशी से झूम रहा था और सुखिया और रोशनी की मां अपनी बेटी को गले लगाकर रोए जा रहे थे।
प्रीति सुराना
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