Tuesday, 6 June 2017

कौआ मुँडेर पर

कौआ मुँडेर पर       

            गोकुलदास और सुशीला की बेटी ने अंतर्जातीय प्रेमविवाह किया जो कि ब्राम्हण कुल में ये जघन्य अपराध माना जाता है । इकलौती बेटी के सही चुनाव और खुशियों को देखते हुए जाति बंधन की सोच को परे रखकर खुशी खुशी दोनों की शादी करवा कर माता पिता और बेटा कान्हा सभी खुश और संतुष्ट थे। पर इसके बाद उन्हें बिरादरी से बाहर ही कर दिया गया।
          इसी महीने उनके दामाद इसी शहर में कलेक्टर बनकर आ गए। जो लोग खुलकर विरोधी बने बैठे थे वो भी धीरे-धीरे घर मे आने जाने लगे और चापलूसी भरी बातें करने लगे। अचानक सबके बदले व्यवहार और आधुनिकता को स्वीकार कर लेना आश्चर्य में डाल गया पर बात धीरे-धीरे समझ आने लगी ।
        तब सुशीला ने एक दिन बातों बातों में गोकुलदास से कहा आखिर अब हमारा घर कलेक्टर की ससुराल जो बन गया है पर हम खुशकिस्मत है कि हमारा दामाद ईमानदार है।      
                बिरादरी के लोग जो मतलब से आने जाने लगे थे दोनों मुसकुराकर आगंतुक की बातें सुनकर हाथ जोड़कर दामाद को सिफारिश करने से मना कर देते फिर भी अब बिरादरी से निकालने की उनसे मिलने वाली धमकियां बंद हो गई थी।
      सबसे मजे की बात ये थी कि छोटा बेटा कान्हा किसी भी ऐसे मेहमान को घर आया देख कनखियों से इशारा करके जानबूझ कर कहता है मां आज तो कौआ मुँडेर पर नही बैठा ?? और सब एक साथ मुस्कुरा देते।

प्रीति सुराना

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