Thursday, 22 June 2017

जीवन हायकू

कर्मठ बन
वर्तमान में जी ले
संवार कल

मृगतृष्णा सा
जीवन में सुख है
क्षणिक छल

ऋतु बदली
बदलेगा जीवन
चलता चल

कृषक जागा
चला कर्मस्थली में
लेकर हल

जल संकट
बरसे न बादल
सूखते थल

अतिवृष्टि में
जल से ही संकट
जीवन जल

सूखा या बाढ़
सहानुभति देते
चुनावी दल

पानी बचाओ
बंद करो याद से
घर का नल

सुरक्षित हो
प्राकृतिक संपदा
खुशी के पल

कर्तव्य निभा
धीरज रखकर
मिलेगा फल

मिटेगी पीड़ा
जीवन मे जरूरी
आत्मा का बल

प्रीति सुराना

0 comments:

Post a Comment