कर्मठ बन
वर्तमान में जी ले
संवार कल
मृगतृष्णा सा
जीवन में सुख है
क्षणिक छल
ऋतु बदली
बदलेगा जीवन
चलता चल
कृषक जागा
चला कर्मस्थली में
लेकर हल
जल संकट
बरसे न बादल
सूखते थल
अतिवृष्टि में
जल से ही संकट
जीवन जल
सूखा या बाढ़
सहानुभति देते
चुनावी दल
पानी बचाओ
बंद करो याद से
घर का नल
सुरक्षित हो
प्राकृतिक संपदा
खुशी के पल
कर्तव्य निभा
धीरज रखकर
मिलेगा फल
मिटेगी पीड़ा
जीवन मे जरूरी
आत्मा का बल
प्रीति सुराना
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