भारत से प्रेम रगों में हो
भारत की भाषा हिंदी हो
पूरब से लेकर पश्चिम तक
मन से भाषा का मान करे
उत्तर से लेकर दक्षिण तक
जन जन इसका सम्मान करें।
हर एक प्रदेश इसे बोले
हो मातृभाषा की जयकार
समझें जो लोग
अहिंदी हो
भारत की भाषा
हिंदी हो।
भाषा की अपनी खूबी है,
सुंदरता व मर्यादा है।
समझ किसी की भाषा पर
माना कुछ कम ज्यादा है।
पर अभियान रहे जारी
हो जन गण मण की कंठहार
चीनी हो या फिर
सिंधी हो
भारत की भाषा
हिंदी हो।
अपनी भाषा में चिंतन से,
क्षितिज नये खुल जाते है।
सच है भाषा सध जाने से
विकल्प कई मिल जाते हैं।
नजदीक उन्हें यह ले आती
जो प्रेम करें इससे गहरा
यह हर माथे की
बिंदी हो
भारत की भाषा
हिंदी हो।
प्रीति सुराना "अंतरा"
बहुत सुन्दर
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