Friday, 19 May 2017

भुला दिया

इस बात ने रुला दिया
तुमने मुझे भुला दिया

सामान सब खुले रखे।
दर भी तुम्हें खुला दिया।।

जब प्यास लगी मुझे,
पानी जहर घुला दिया।

मैं छांव ढूंढती रही,
तो धूप को बुला दिया।

क्यूं आंख में नमी भरी,
यूं चेहरा धुला दिया।

जो ख्वाब जागने लगे,
मुझको तभी सुला दिया।

थी चाह प्रीत की मुझे,
और गम ने झुला दिया।

प्रीति सुराना

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