इस बात ने रुला दिया
तुमने मुझे भुला दिया
सामान सब खुले रखे।
दर भी तुम्हें खुला दिया।।
जब प्यास लगी मुझे,
पानी जहर घुला दिया।
मैं छांव ढूंढती रही,
तो धूप को बुला दिया।
क्यूं आंख में नमी भरी,
यूं चेहरा धुला दिया।
जो ख्वाब जागने लगे,
मुझको तभी सुला दिया।
थी चाह प्रीत की मुझे,
और गम ने झुला दिया।
प्रीति सुराना
बहुत खूब
ReplyDelete