दर्द सामने जब भी खड़ा होगा,
नाजुक सही ये दिल कड़ा होगा।
यूं लाख सबसे ही छुपाया हो,
पर आंख में आंसू गड़ा होगा।
खामोश रहकर सुन लिया जो वो,
आरोप माथे पर जड़ा होगा।
जब घाव भी नोंचे गये होंगे,
अरमां कहीं बिखरा पड़ा होगा।
बेजान तन हो भी गया हो पर,
ये मन मस्तिष्क से तो लड़ा होगा।
आये खुशी की याद भी चाहे,
नासूर बन ज़ख्म भी सड़ा होगा।
दर्द भूल अपना प्रीत ही बांटे,
क्या आदमी इतना बड़ा होगा????
प्रीति सुराना
बहुत खूब
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