Wednesday 26 April 2017

जन्मसिद्ध रचनाकार

सुनो!!
रचती हूँ मैं
हर परिस्थिति में
रोज कुछ नया,..
रचना
मेरी नियति ही नही
बल्कि मेरे लिए
प्रकृति का दिया
चमत्कारी उपहार भी है,..
अपने अंश से वंश को रचने की योग्यता
जब नियति ने दी है मुझे
तब अपने भावों को
शब्दों में रचना भी
मेरा अधिकार है *गुनाह* नही,..।
हाँ!
स्त्री रूप में जन्म देकर
स्वयं
सृष्टि के नियंता ने
बना दिया मुझे
जन्मसिद्ध रचनाकार !!!

प्रीति सुराना

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