एकता, प्रेम और भरोसा अपनेपन की सारी कड़ियाँ,
बिखर रही है धीरे-धीरे मृदु रिश्तों की सारी लड़ियाँ,
बिखरे शब्द सहेज रही हूं मैं भी भावों को कहने को,
बिखर न जाए ऐसे ही खुशियों वाली सारी घड़ियां।
प्रीति सुराना
copyrights protected
एकता, प्रेम और भरोसा अपनेपन की सारी कड़ियाँ,
बिखर रही है धीरे-धीरे मृदु रिश्तों की सारी लड़ियाँ,
बिखरे शब्द सहेज रही हूं मैं भी भावों को कहने को,
बिखर न जाए ऐसे ही खुशियों वाली सारी घड़ियां।
प्रीति सुराना
सुन्दर पंक्तियाँ
ReplyDelete