Wednesday 26 April 2017

अड़चनें

गिनती हूं हर रोज बीत रहे लम्हे, सांसे और धड़कने
निपटाती हूं जिंदगी और मौत के बीच की अड़चनें
फासले मिटते ही नही है तमाम कोशिशों के बाद भी
बस मिट रही हैं पल पल मेरी ख्वाहिशें, तमन्नाएं, हसरतें,.. प्रीति सुराना

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