Thursday, 30 March 2017

ताकाझांकी

खुशियों ने की ताकाझांकी आज हमारे आँगन में।

बदला बदला सा कुछ तो है आज हमारे जीवन में।।


हाथों में हाथ रहा उनका, और कदम भी साथ बढ़ें।

ढलती शामों के साये में, सपने भी परवान चढ़े।

लगता है महका सा कोई, फूल खिला है गुलशन में।

खुशियों ने की ताकाझांकी आज हमारे आँगन में।।


आँखों आंखों में रात कटी, बातों में बीत गया दिन।

अधरों पर मुसकान टिकी हो, कम आते है ये पलछिन।

आशा का इक दीप जला है , सूने सूने से मन में।

खुशियों ने की ताकाझांकी, आज हमारे आँगन में।।


मंदिर की घंटी जैसा स्वर, गूंज रहा है कानों में,

नव संचार हुआ हो जैसे , अब ऊर्जा का प्राणों में।

रंगत बदली ऐसी जैसे, मिल गया हो केसर चंदन में।

खुशियों ने की ताकाझांकी आज हमारे आँगन में।।


बदला बदला सा कुछ तो है आज हमारे जीवन में।।


प्रीति सुराना

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