Saturday 31 December 2016

स्वान्तः सुखाय

लेखन का विषय मिला
लेखनी चल पड़ी,
लिख दिया मन का हाल
फिर अपेक्षा बड़ी,
कोई आकार वाह कह दे
इंतज़ार करते रहे,
बीत गई उदासियों में
स्वान्तः सुखाय की घड़ी,.. प्रीति सुराना

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