Saturday 31 December 2016

आकाश का फूल

एक कोशिश

"इन्दवशा छंद"
विधान:-(२२१ २२१ १२१ २१२)
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आकाश का फूल बना देखा तुझे,
आसान पाना कब हो सका तुझे।
आशा निराशा बनती रही सदा ,
कोई खुशी तो मिलती यदा कदा।

प्रीति सुराना

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