2*9
बातें सब आज खल गई होंगी
सपने कितने मसल गई होंगी ।
चाहतें मन में निहाँ थीं अब तक,
तुमको देखा मचल गई होंगी ।।
बात बीती रुलाती रहती है,
खुशियां यूँ ही फिसल गई होंगी ।
दिल में रहती थीं जो हसरत छुपके,
कतरा कतरा पिघल गई होंगी।
'प्रीत' खामोश दफन सीने में,
बात बातों में चल गई होगी ।।
प्रीति सुराना
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