Wednesday 30 November 2016

पिघल गई होगी

2*9


बातें सब  आज खल गई होंगी

सपने कितने मसल गई होंगी ।


चाहतें  मन में निहाँ थीं अब तक,

तुमको देखा मचल गई होंगी ।।


बात बीती  रुलाती  रहती है,

खुशियां यूँ ही फिसल गई होंगी ।


दिल में  रहती थीं जो हसरत छुपके,

 कतरा कतरा पिघल गई होंगी।


 'प्रीत' खामोश दफन सीने में,

बात बातों में चल  गई होगी ।।


प्रीति सुराना

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